ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक पौधे चमत्कारिक पौधेउमेश पाण्डे
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प्रकृति में हमारे आसपास ऐसे अनेक वृक्ष हैं जो हमारे लिए परम उपयोगी हैं। ये वृक्ष हमारे लिए ईश्वर द्वारा प्रदत्त अमूल्य उपहार हैं। इस पुस्तक में कुछ अति सामान्य पौधों के विशिष्ट औषधिक, ज्योतिषीय, ताँत्रिक एवं वास्तु सम्मत सरल प्रयोगों को लिखा जा रहा है।
इसका फल 1 से 1.5 इंच लंबा गोल और अखरोट के आकार का होता है। इस फल के भीतर दो खाने होते हैं। इसमें बीज रहते हैं। इसके फूल मार्च-अप्रैल में आते हैं और शीतकाल में फल लगते यह वनस्पति सारे भारत वर्ष के पहाड़ी प्रान्तों में पैदा होती है। जैसे हिमाचल प्रदेश, सिंधु नदी के तट के निकट स्थानो में बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है। पश्चिमी बंगाल, महाबलेश्वर, शिवपुर विंध्याचल में पाये जाते हैं। इसके अलावा यह राजस्थान के अरावली पर्वत श्रेणियों के पर्वतों में झरनों और तलेठी गहरे जंगलों की छायावाली जगहों पर पैदा होते हैं।
इसको वनस्पतिशास्त्र में रेंडिया ड्यूमेटोरम (Randia dumetorum) कहते हैं।
औषधिक महत्त्व
0 दमा पर - मेनफल, अर्कमूल, मूलेठी का समान भाग मिश्रित चूर्ण दमा की उत्कृष्ट औषधि है।
0 उदर शूल पर- मेनफल के बीज का चूर्ण कांजी अथवा छाछ में पीसकर गरम नाभि के चारों ओर लेप करने से उदर शूल मिटता है।
0 अनाज रक्षार्थ- इसका उपयोग गेहूँ अनाज आदि में कीड़े लग जाते हैं तो इसके सूखे फल को अनाज में रखने से इसमें कीड़े नहीं लगते हैं।
0 कफ नाशक- कफ निकालने के लिये भी मेनफल का उपयोग किया जाता है।
0 विष निकालने में भी मेनफल को पानी के साथ रोगी को पिलाने से उल्टी होती है और विष उल्टी के माध्यम से शरीर के बाहर निकल जाता है।
मेनफल का ज्योतिषीय महत्त्व
इसका कोई भी ज्योतिषीय महत्व मुझे ज्ञात नहीं है।
मेनफल का ताँत्रिक महत्त्व
मेनफल का एक नाम मदनफल भी है। मदन कामदेव को कहते हैं। अत: काम से पीड़ित व्यक्ति यदि मदनफल के बीज को अपने पास रखे तो उसे कामपीड़ा नहीं सताएगी। पुन: जो व्यक्ति काम जाग्रत करना चाहते हों उन्हें इसकी जड़ के एक टुकड़े को ताबीज में भरकर कमर में बाँधना हितकर होता है।
मेनफल का वास्तु में महत्त्व
इस वृक्ष का घर की सीमा में होना अशुभ है।
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