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चमत्कारिक दिव्य संदेश

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :169
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9682
आईएसबीएन :9781613014530

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सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।

सांस व मुँह में दुर्गंध की शिकायत होने पर मेथी के दानों को पानी में उबालकर उस पानी से गरारे करें। अवश्य ही लाभ होगा। मेथी के पानी को दाँतों पर रगड़ने से दाँत मजबूत होते हैं और दंत-क्षय रोग नष्ट होता है। मेथी के पत्तों के अर्क से गरारे करने से मुँह में हो रहे छाले ठीक हो जाते हैं।

मेथी के दानों को पीसकर पेस्ट की तरह बनाकर आँखों के नीचे लेप करने से आँखों के आस-पास का कालापन दूर हो जाता है।

मछली के तेल में पाये जाने वाला तत्व 'ट्रस्मेथाइमिलमिन' मेथी में प्रचुर मात्रा में होता है। अत: मेथी शाकाहारियों के वास्ते मछली के तेल के विकल्प का कार्य करती है।

मेथी के चूर्ण तथा काढ़े से स्नायु रोग, सूखा रोग, बहुमूत्र, अतिसार, पथरी, बुखार, पेचिश, टॉसिल्स, रक्तचाप, मानसिक तनाव आदि विभिन्न रोगों में आश्चर्यजनक रूप से लाभ होता है।

मेथी का काढ़ा बनाने के लिए मेथी के दानों को रात भर पानी में गलाना चाहिए। सवेरे उन गले हुए दानों को मसल लें तथा धीमी आंच पर पकाकर छान लें। निश्चय ही, इसकी कड़वाहट बहुत अधिक होगी। किन्तु आप इसे उपयोग में लेने से पूर्ब इसमें थोड़ा दूध व गुड़ मिला सकते हैं।

वस्तुत: घरेलू उपचार के तरीकों में मेथी का अत्यधिक महत्व है। साधारण रोगों में इसका इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। मगर किसी गम्भीर बीमारी में इसका उपयोग करने से पूर्व अपने चिकित्सक से अवश्य ही परामर्श कर लें।

¤ ¤    अनीता जैन

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