ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक दिव्य संदेश चमत्कारिक दिव्य संदेशउमेश पाण्डे
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सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।
शनि के शुभ प्रभाव में वैज्ञानिक, समाज सुधारक, क्रान्तिकारी, इतिहास-शोधकर्ता, भूगर्भ वेत्ता, दार्शनिक, सत्ताओं में परिवर्तन करने वाले राज नेता, मानवता के लिए अपने सुखों का बलिदान करने वाले, आध्यात्मिक, सन्त, योगी उत्पत्र होते हैं। शनि के शुभत्व के जातक धनी सम्पन्न होने पर भी उससे मोह नहीं रखते। गृहस्थी में भी वे वीतराग कर्मयोगी हैं।
ऐसे जातकों की लग्न प्राय: तुला, कुम्भ, वृषभ और मकर होती है। शनि गुरु का सम्बन्ध हो और बुध, चन्द्र निर्बल न हो तो मिथुन, कन्या, धनु मीन में भी शनि अपने सद्गुण प्रकट करता है।
भगवान कृष्ण (वृष लग्न), स्वामी रामकृष्ण परमहंस, अब्राहिम लिंकन, कार्ल मार्क्स, रसूल मोहम्मद साहब (कुम्भ लग्न), महात्मा गाँधी, श्री अटल बिहारी बाजपेयी (तुला लग्न), राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व सरसंघ चालक श्री गोलवलकर (मकर) शुभ शनि की देन हैं।
शनि के कुप्रभावों से बचने हेतु निम्न उपाय लाभदायक हो सकते हैं-
1. भोजन में काला नमक व काली मिर्च का प्रयोग अधिक करना चाहिए तथा लोहे के फर्नीचर को अधिक उपयोग में लाना चाहिए।
2. सरसों के तेल व तिल का दान करना चाहिए।
3. प्रत्येक शनिवार को उपवास रखें तथा सूर्य अस्त होने के पश्चात् ही उपवास तोड़ें।
4. काले साँप को दूध पिलाएँ, मजदूरों व अशक्त व्यक्तियों को भोजन व कपड़े की सहायता करें।
5. किसी पात्र विधवा स्त्री को चमड़े की चप्पल का दान करें।
6. प्रत्येक शनिवार शनि मन्दिर अथवा हनुमान जी को काले उड़द चढ़ाएँ।
7. अपने भोजन की थाली में से थोड़ा-थोड़ा भोज्य पदार्थ निकाल कर अलग रखें तथा इसे कौओं को खिलाएँ।
8. यदि शनि के कारण सन्तान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न हो रही हो तो स्त्री द्वारा भोजन की थाली से थोडे-थोडे सभी पदार्थ निकाल कर काले कुत्तों को खिलाएँ।
9. यदि कुण्डली में शनि की स्थिति अनिष्टकारक हो तथा मकान का प्रवेश द्वार पश्चिम में हो तो व्यक्ति को सुरमा खरीद कर उसे एकान्त स्थान पर जमीन में गाड़ देना चाहिए।
10. जिस व्यक्ति की कुण्डली के चतुर्थ स्थान में शनि हो उसे रात्रि के समय दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।
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