ई-पुस्तकें >> चमत्कारिक दिव्य संदेश चमत्कारिक दिव्य संदेशउमेश पाण्डे
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सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।
¤ हारीत स्मृति में कहा है-
उच्चारे मैथुने चैब प्रसावे दन्तधावने।
श्राद्धे भोजनकाले च षट्सु मौनं समाचरेत्।।
अर्थात् मल, मूत्र, मैथुन, दन्तधावन, श्राद्ध और भोजन के समय मौन रहें।
¤ उवासी (जम्हाई) आने से 'चुटकी' बजावें। छींकने से 'शतं जीवेम शरद: ' - कहें। अधोवायु, थूक तथा नेत्र में जल आने से दाहिना कान अँगूठे से स्पर्श करें।
¤ एकादशी, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा, संक्रान्ति, व्यतिपात व्रत, श्राद्ध, रवि, मंगल तथा शनि के दिन क्षौर नहीं करायें।
एक स्थान पर कहा है-
भौमाश्चाष्टौ वितरितशुभं बोधन: पंच मासान्।।
सप्तैवेन्दुर्दश सुरगुरु: शुक्र एकादशेति।
प्राहुर्गर्ग प्रभृतिमुनय: क्षौरकार्येपु नूनम।।
अर्थात् रविवार को क्षौर कराने से 1, मंगल को 8 और शनिवार को 7 मास आयु क्षीण होती है। बुधवार को 5, सोमवार को 7, गुरुवार को 10 और शुक्रवार को 11 मास आयु बढ़ती है। गृहस्थ को सोम और गुरुवार को भी क्षौर नहीं कराना चाहिए।
¤ षष्ठी, एकादशी, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा तथा रवि, मंगल, गुरु और शुक्रवार को तेल न लगावें। किन्तु सुगन्धित तेल लगाया जा सकता है।
¤ रविवार को तेल लगाने से ताप, मंगलवार को मृत्यु, गुरुवार को हानि तथा शुक्रवार को दुःख होता है। सोमवार को शोभा, बुधवार को धन और शनिवार को सुख होता है। यदि निषिद्ध वारों में तेल लगाना हो तो रविवार को तेल में से एक पुष्प, गुरुवार को थोड़ी-सी दूर्बा, मंगलवार को मृतिका और शुक्रवार को गोबर छोड़कर लगाने से दोष नहीं लगता। सुगन्धित तेल प्रतिदिन लगाने वालों को भी दोष नहीं लगता। इसलिए जो लोग नारियल का तेल लगाते हों तो उन्हें उनके तेल में एक कपूर का टुकड़ा डाल देने से दोष नहीं लगेगा।
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