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अकबर - बीरबल

गोपाल शुक्ल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9680
आईएसबीएन :9781613012178

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अकबर और बीरबल की नोक-झोंक के मनोरंजक किस्से


चीनी और रेत


बादशाह अकबर के दरबार की कार्यवाही चल रही थे, तभी एक दरबारी हाथ मे शीशे का एक मर्तबान लिए वहाँ आया बादशाह ने पूछा “क्या है इस मर्तबान में?”

दरबारी बोला “इसमे चीनी और रेत का मिश्रण है“

“वह किसलिए” फ़िर पूछा अकबर ने ।

“माफ़ी चाहता हूँ हुजूर” दरबारी बोला, “हम बीरबल की काबिलियत को परखना चाहते हैं, हम चाहते हैं की वह रेत से चीनी का दाना दाना अलग कर दे।”

बादशाह अब बीरबल से मुखातिब हुए, “देख लो बीरबल, रोज ही तुम्हारे सामने एक नई समस्या रख दी जाती है, अब तुम्हें बिना पानी में घोले इस रेत में से चीनी को अलग करना है।”

“कोई समस्या नहीं जहाँपनाह” बीरबल बोले, यह तो मेरे बाएँ हाथ का काम है, कहकर बीरबल ने मर्तबान उठाया और चल दिया दरबार से बाहर।

बीरबल बाग़ मे पहुंचकर रुका और मर्तबान मे भरा सारा मिश्रण आम के एक बड़े पेड़ के चारो और बिखेर दिया “यह तुम क्या कर रहे हो?” एक दरबारी ने पूछा।

बीरबल बोले, “यह तुम्हें कल पता चलेगा।”

अगले दिन फ़िर वे सभी उस आम के पेड़ के नीचे जा पहुंचे। वहाँ अब केवल रेत पड़ी थी। चीनी के सारे दाने चीटियाँ बटोर कर अपने बिलों में पहुंचा चुकी थीं। कुछ चीटियाँ तो अभी भी चीनी के दाने घसीट कर ले जाती दिखायी दे रही थीं।

“लेकिन सारी चीनी कहाँ चली गई ?” दरबारी ने पूछा।

“रेत से अलग हो गई” बीरबल ने कहा ।

सभी जोर से हंस पड़े।

बादशाह ने दरबारी से कहा कि "अब तुम्हें चीनी चाहिये तो चीटियों के बिल में घुसो।”

सभी ने जोर का ठहाका लगाया और बीरबल की अक्ल की दाद दी।

* * *


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