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अकबर - बीरबल

गोपाल शुक्ल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :149
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9680
आईएसबीएन :9781613012178

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अकबर और बीरबल की नोक-झोंक के मनोरंजक किस्से


बीरबल ने एक क्षण कुछ सोचा और फिर रखवाले से बोला – “ठीक है तुम घर जाओ महाराज को सूचना मैं दूँगा।”

बीरबल अगले दिन दरबार में पहुँचे और अकबर से कहा, “हुज़ूर आपका तोता…”

अकबर ने पूछा – “हाँ-हाँ क्या हुआ मेरे तोते को?”

बीरबल ने फिर डरते-डरते कहा – “आपका तोता जहाँपनाह…"

”हाँ-हाँ बोलो बीरबल क्या हुआ तोते को ?"

“महाराज आपका तोता…।” बीरबल बोला।

“अरे खुदा के लिये कुछ तो कहो बीरबल मेरे तोते को क्या हुआ”, अकबर ने खीजते हुए कहा।

“जहाँपनाह, आपका तोता ना तो कुछ खाता है ना कुछ पीता है, ना कुछ बोलता है ना अपने पँख फड़फड़ाता है, ना आँखे खोलता है और ना ही…”  

महाराज ने गुस्से में कहा – “अरे सीधा-सीधा क्यों नहीं बोलते की वो मर गया है।”

बीरबल तपाक से बोला – “हुज़ूर मैंने मौत की खबर नहीं दी बल्कि ऐसा आपने कहा है, मेरी जान बख्शी जाये।”

और महाराज निरुत्तर हो गये।

* * *


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