लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> श्रीकृष्ण चालीसा

श्रीकृष्ण चालीसा

गोपाल शुक्ल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :13
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9655
आईएसबीएन :9781613012192

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

440 पाठक हैं

श्रीकृष्ण चालीसा


एक समय जब माटी खाई,
मातु यशोदा मारन आई।
आपने मुख जब खोल दिखाया,
सकल जगत तिस में दिखलाया।।11।।

देखत भई चकित महतारी,
फिर प्रभु माया आपने डारी।
मन हर माखन चोर सदाए,
अद्भुत अद्भुत दृश्य दिखाए।।12।।

जय जगदीश चराचर करता,
जय प्रतिपालक हरता भरता।
जय सुखसदन क्लेश निवारण,
जय जय जय जगतारण कारण।।13।।

जय पूरण जय जय परमेश्वर,
जय आनन्दघन जय सर्वेश्वर।
जय घट घट की जानन हारे,
जय वसुदेव देवकी प्यारे।।14।।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book