लोगों की राय
ई-पुस्तकें >>
श्रीकृष्ण चालीसा
श्रीकृष्ण चालीसा
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :13
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
|
पुस्तक क्रमांक : 9655
|
आईएसबीएन :9781613012192 |
|
6 पाठकों को प्रिय
440 पाठक हैं
|
श्रीकृष्ण चालीसा
पूतना कपट रूप धर आई,
प्रभो! आपने मार मुकाई।
श्रीयमुना जल पावन कीना,
अभय दान भक्तन को दीना ।।3।।
मान इन्द्र का तोड़ दिखाया,
प्रभो! आपकी अद्भुत माया।
लेन परीक्षा ब्रह्मा आए,
लीला देख के शीश नवाए ।।4।।
जय माधव जय जय बनवारी,
जय जय तृणावर्त कंसारी।
जय गोपाल सदा सुखदाई,
जय केशव जय जय यदुराई ।।5।।
जय अर्जुन के सखा पियारे,
जय पांडुसुत तारन हारे।
जय जय जय जगबन्धन टारन,
जय संतन के दुःख निवारण।।6।।
...Prev | Next...
पुस्तक का नाम
श्रीकृष्ण चालीसा
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai