लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> श्री दुर्गा सप्तशती (दोहा-चौपाई)

श्री दुर्गा सप्तशती (दोहा-चौपाई)

डॉ. लक्ष्मीकान्त पाण्डेय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :212
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9644
आईएसबीएन :9781613015889

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

212 पाठक हैं

श्री दुर्गा सप्तशती काव्य रूप में

लोचनधूम्र भयो जरि छारी।
रन मंह मरे निसाचर झारी।।
अति खिसिआन सुंभ असुरेसा।
कुटिल भृकुटि कह बचन नरेसा।।
चण्ड मुण्ड लै असुर निकाया।
आनहु केस पकरि करि माया।।
पकरि बांधि खींचत लै आवहु।
लरन चहत तब मारि गिरावहु।।
मारि खींचि लावहु तुम ताका।
छल बल तें जीतहु दोउ बांका।।
बेगि आहु आयसु मम मानी।
लावहु पकरि नारि अभिमानी।।


तेहि हति सिंह निपात करि, आनहु इहां बहोरि।
मूढ़ दनुज खल मातु को, कह कटु बचन करोरि।।५।।

० ० ०

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book