ई-पुस्तकें >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
आज का दिन
आज का ये सुहाना दिन
उदास है ये तेरे बिन
चारों तरफ की हरियाली
हर लेता है जो मन को
मगर यहां भी लगता नहीं
सब तो पास है तेरे
कभी मेरा हुआ करता जो
आंखें हर जगह करती है
बस तेरा ही दीदार
मगर दोनों के बीच है
इस जमाने की ऊंची दीवार
जिसे गिराना है हमको
हर मुश्किल से होना है पार
धरती के उस छोर पर
बुला रहा है हमको प्यार।
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