ई-पुस्तकें >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
गांव की याद
मशीनों की गडग़ड़ाहट
मोटरों की सरसराहट
चारों तरफ ध्वनि ही ध्वनि
चारों तरफ कारखानों की चिमनी
प्रदूषण रूपी सुन्दर नारी
भरती हुई अपने आगोश में।
मगर……….
ऐसी जगह पर भी
एक जगह पर भी
एक जगह थी ऐसी
उसने मन बहलाया मेरा।
उसका अंदाज कुछ और था
याद बिल्कुल दिला रही थी
वह जगह मेरे गांव की
वही फूलों की क्यारियां
ठंडी छांव वही पेड़ों की
याद आया मुझे कुछ
वही मेरी जन्म स्थली
वही तो थी मेरी सब कुछ।
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