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स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :127
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9604
आईएसबीएन :9781613015834

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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।


रक्तदान शिविर


होस्पीटल से लौटने के
सप्ताह बाद
मां ने बताया,
एक्सीडैंट बड़ा था,
खून न मिलता
तो बचना मुश्किल था।

किसने दिया खून?
तत्परता से पूछा।

मालूम नहीं बेटे
रक्तदानी और रक्तप्रापी का
खून का रिश्ता,
परन्तु दोनों अजनबी।

चिन्ता नहीं बेटे
दो के बदले चार
यूनिट दान करना
ऋण उतर जाएगा
मन का भार हल्का हो जाएगा।

स्वस्थ होने के वर्ष बाद
ब्लड-बैंक में गया
डॉक्टर ने कहा
रक्तदान नहीं कर सकते
आपको सुगर है।
मन फिर उदास
रगों में दौड़ता लहू
कृतज्ञता से बोझल।

डॉक्टर ने समझाया
उदास क्यों....
रक्तदानियों की सेवा करो
स्वैच्छिक रक्तदान शिविर लगाओ
बोझ उतर जाएगा।
बंद रास्ता खुल गया
मन, चिंता से धुल गया।

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