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स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :127
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9604
आईएसबीएन :9781613015834

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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।


सरहद पर खून


दुनियां में,
देशों को, अलग अलग करने की
कोई दीवार नहीं है।

मनुष्य ने
अपने अधिपत्य के अनुसार
बांट लिया धरती को
मान चित्रों में, सरहदों में।

सुरक्षा के लिए
तैनात कर दिये
सीमाओं पर
सैनिक अस्त्र-शस्त्र, चौकीदार।

जब कोई सैनिक
गोली चलाता है
तो खून बहता है
जंगलों में, पत्थरों पर
व्यर्थ।

काश सरहदों पर
रक्तदाता कैम्प लगे
खूब खून बने
मानवता के काम आए।
सरहदों का विस्तार हो जाए।
सरहदों का विस्तार हो जाए।

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