लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :127
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9604
आईएसबीएन :9781613015834

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

321 पाठक हैं

स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।


जिन्दगी और मौत


मैं मरूंगा नहीं प्रिय
केवल शरीर बदल जाएगा
कहे अनकहे शब्द
दृश्यों की स्मृतियां
कभी लुप्त नहीं होती।

मौत एक खेल है
जीत हार की चिंता से अलग
जीने का जीवंत रहने का।

मौत जब शाश्वत है
फिर उससे डर कैसा,
मौत से पूर्व
बार-बार मरना कैसा।

मौत से तो डर नहीं
तुम्हारी आखों में पसरी वेदना
चिंतित करती है केवल।

मेरे हिस्से में आए
जितने सुन्दर पल
मुझे उनको जीने दो
अपने समीप रहने दो।

0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai