ई-पुस्तकें >> स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति स्वैच्छिक रक्तदान क्रांतिमधुकांत
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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।
तिरंगा उत्सव
केसरिया ध्वज के साथ
उद्घोष किया उसने
हम सबके शरीर में
रक्त केसरिया है।
सबसे ऊर्जावान, विकासशील
प्यारा केसरिया, प्यारा केसरिया
लोग समझ गए
पुजारी हिन्दू की
भाषा बोलता है।
हरित ध्वज के साथ
नया उद्घोषक स्वर
सबके जिस्म में
हरे रंग का खून
हरियाली, तरक्की का
हरा शबाब सब समझ गए
मौलवी मुसलमान की
जुबान बोलता है।
श्वेत ध्वज के साथ
नया उद्घोषक
सबसे पवित्र, शान्ति व
सच्चाई का प्रतीक
सबसे निराला सफेद रक्त
लोग समझ गए
पादरी ईसाई की
भाषा बोलता है।
न श्वेत, न हरा, न केसरिया
सबके तन में लाल रंग
हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई
रक्तदान कर लो सब भाई।
चर्च तोड़े, मस्जिद बांटे
मंदिर का आलाप अलग
रक्तदान शिविर में सारे
इन्सानियत का रंग भरें।
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