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सूरज का सातवाँ घोड़ा

धर्मवीर भारती

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :147
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9603
आईएसबीएन :9781613012581

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'सूरज का सातवाँ घोड़ा' एक कहानी में अनेक कहानियाँ नहीं, अनेक कहानियों में एक कहानी है। वह एक पूरे समाज का चित्र और आलोचन है; और जैसे उस समाज की अनंत शक्तियाँ परस्पर-संबद्ध, परस्पर आश्रित और परस्पर संभूत हैं, वैसे ही उसकी कहानियाँ भी।


डॉ. धर्मवीर भारती


जन्म: 25 दिसम्बर 1926 प्रयाग के अतरसुइया मुहल्ले में।
मृत्यु : 1997 मुम्बई।

पिता : स्व. श्री चिरंजीव लाल वर्मा, माता : स्व. श्रीमती चंदा देवी, पत्नी : पुष्पा भारती संतान : पारमिता मित्तल, किंशुक भारती, प्रज्ञा भारती।

बचपन और शिक्षा :
शाहजहांपुर के निकट खुदागंज कस्बे के पुराने जमींदार परिवार के पाँच भाइयों में से एक थे, चिरंजीव लाल वर्मा। उन्होंने पुश्तैनी रहन-सहन छोड़कर–रुड़की से ओवरसीयरी की शिक्षा प्राप्त की। कुछ दिन बर्मा में सरकारी नौकरी और ठेकेदारी की, फिर उत्तर प्रदेश में लौटकर पहले मिर्जा़पुर और फिर स्थायी रूप से इलाहाबाद में बस गये।

बालक धर्मवीर बचपन में एक दो वर्ष पिता के साथ आज़मगढ़ और मऊनाथ भंजन में रहे। प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई। इलाहाबाद के डी.ए.वी. हाई स्कूल में पहली बार चौथी क्लास में नाम लिखाया गया। आठवीं कक्षा में थे तभी पिता का देहांत हो गया। उसके बाद बहुत दारुण ग़रीबी में दिन बीते। प्रयाग में बसे मामा श्री अभयकृष्ण जौहरी के परिवार के साथ रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त की। कायस्थ पाठशाला इंटर कालेज से सन् 1942 में इंटरमीडिएट पास किया। बयालीस के आंदोलन में भाग लिया और पढ़ाई एक बरस रुक गयी। सन् 1945 में प्रयाग विश्वविद्यालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की व हिन्दी में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर चिंतामणि घोष मैडल के हकदार बने। सन् 1947 में वहीं से प्रथम श्रेणी में एम.ए. करने के बाद डॉ. धीरेन्द्र वर्मा के निर्देशन में सिद्ध साहित्य पर शोध प्रबंध लिखकर पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की।

आजीविका :
छात्र जीवन से ही ट्यूशनें पर आत्मनिर्भर होना पड़ा। एम.ए. की पढ़ाई का ख़र्च ‘अभ्युदय’ (सम्पादक : श्री पद्मकांत मालवीय) में पार्ट टाइम काम करके निकाला। 1948 में ‘संगम’ (संपादक श्री इलाचंद्र जोशी) में सहकारी संपादक नियुक्त हुए। दो वर्ष वहाँ काम करने के बाद हिंदुस्तानी अकादमी में उपसचिव का कार्य किया। तदुपरांत प्रयाग विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अध्यापक नियुक्त हुए। सन् 1960 तक वहाँ कार्य किया। प्रयाग विश्वविद्यालय में अध्यापन के दौरान ‘हिंदी साहित्य कोश’ के सम्पादन में सहयोग दिया। ‘निकष’ पत्रिका निकाली तथा ‘आलोचना’ का सम्पादन भी किया। उसके बाद ‘धर्मयुग’ में प्रधान सम्पादक पद पर बम्बई आ गये। ‘धर्मयुग’ हिंदी के सर्वश्रेष्ठ साप्ताहिक के रूप में स्थापित हुआ। 1987 में डॉ. भारती ने अवकाश ग्रहण किया। 1989 में हृदय रोग से गंभीर रूप से बीमार हो गये। गहन चिकित्सा के बाद प्राण तो बच गये किन्तु स्वास्थ्य पूरी तरह कभी सुधरा नहीं और 4 सितंबर 1997 को देहावसान हो गया। नींद में ही मृत्यु ने वरण कर लिया।

यात्राएँ :
सन् 1961 में कामनवेल्थ रिलेशन्स कमेटी के आमंत्रण पर प्रथम विदेश यात्रा पर इंगलैंड तथा यूरोप भ्रमण। पश्चिम जर्मन सरकार के आमंत्रण पर 1964 में जर्मनी यात्रा तथा 1966 में भारतीय दूतावास के निमंत्रण पर इंडोनेशिया तथा थाइलैंड की यात्राएँ कीं। सितम्बर 1971 में मुक्तिवाहिनी के साथ बांग्ला देश की गुप्त यात्रा की तथा क्रान्ति का पहला आँखों देखा प्रामाणिक विवरण प्रस्तुत किया। भारत-पाक युद्ध 1971 के दौरान भारतीय स्थल सेना के साथ वास्तविक यु्द्ध स्थल पर निरंतर उपस्थित रहकर युद्ध के वास्तविक मोर्चे के रोमांचक अनुभवों को लिपिबद्ध किया। इसके पहले ऐसा काम कभी किसी पत्रकार ने नहीं किया। भारतीय मूल की मारिशसीय जनता की समस्याओं का अध्ययन करने के लिए जून 1974 में मारिशस की यात्रा की। फिर एफ्रो एशियाई कान्फ्रेंस में भाग लेने के लिए पुनः मारिशस गये। 1978 में चीन की सिनुआ संवाद समिति के आमंत्रण पर भारत सरकार के डेलीगेशन के सदस्य के रूप में चीन की यात्रा पर गये। 1991 में परिवार के साथ अमरीका यात्रा पर गये। और अपने भारत देश के तो हर प्रांत में बार-बार अनेक यात्राएँ कीं। यात्राएँ डॉ. भारती को बहुत सुख देती थीं।

अलंकरण तथा पुरस्कार :
1972 में पद्म श्री से अलंकृत हुए। 1997 में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ने हिंदी की सर्वश्रेष्ठ रचना को प्रतिवर्ष 51,000 का पुरस्कार देने की घोषणा की। पुरस्कार का नाम है—‘‘धर्मवीर भारती महाराष्ट्र सारस्वत सम्मान’’ 1999 में युवा कहानीकार उदय प्रकाश के निर्देशन में साहित्य अकादमी दिल्ली के लिए डॉ. भारती पर वृत्त चित्र का निर्माण हुआ।

अनेक पुरस्कारों में से कुछ इस प्रकार हैं—

पुरस्कार :-
1997 - संगीत नाटक अकादमी के मनोनीत सदस्य
1984 - हल्दी घाटी श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार
1985 - साहित्य अकादमी रत्न सदस्यता सम्मान
1986 - संस्था सम्मान-उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान
1988 - सर्वश्रेष्ठ नाटककार पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी
1989 - डॉ. राजेन्द्रप्रसाद शिखर सम्मान, बिहार सरकार
1989 - गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार, केंद्रीय हिंदी संस्थान
1989 - भारत भारती पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान
1990 - महाराष्ट्र गौरव – महाराष्ट्र सरकार
1991 - साधना सम्मान, केडिया स्मृति न्यास
1992 - महाराष्ट्राच्या सुपुत्रांचे अभिनंदन सम्मान,
1994 - व्यास सम्मान, के.के. बिड़ला फा़उंडेशन
1996 - शासन सम्मान, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान
1997 - उत्तर प्रदेश गौरव, अभियान सम्मान संस्थान

कहानी संग्रह :
मुर्दों का गाँव (1946), स्वर्ग और पृथ्वी (1949), चाँद और टूटे हुए लोग (1955), बंद गली का आख़िरी मकान (1969), साँस की कलम से (समस्त कहानियाँ एक साथ) (2000)।

कविता :
ठंडा लोहा (1952), अंधा युग (1954), सात गीत वर्ष (1959), कनुप्रिया (1959), सपना अभी भी (1993), कुछ लम्बी कविताएँ (1998), आद्यन्त (1999), मेरी वाणी गैरिक वासना (1999)।

उपन्यास :
गुनाहों का देवता (1949), सूरज का सातवां घोड़ा (1952), ग्यारह सपनों का देश (प्रारंभ व समापन) (1960)।

निबंध :
ठेले पर हिमालय (1958), पश्यंती (1969), कहनी अनकहनी (1970), कुछ चेहरे कुछ चिंतन (1995), शब्दिता (1997), रिपोर्टिंग युद्ध यात्रा (1972), मुक्त क्षेत्रे : युद्ध क्षेत्रे (1973) साहित्य विचार और स्मृति (2003)।

आलोचना :
प्रगतिवाद-एक समीक्षा – (1949), मानव मूल्य और साहित्य – (1960)।

एकांकी संग्रह :
नदी प्यासी थी – (1954)

अनुवाद  :
ऑस्कर वाइल्ड की कहानियाँ – (1946), देशांतर (इक्कीस देशों की आधुनिक कविताएँ) – (1960)

शोध प्रबंध  :
सिद्ध साहित्य – (1968)

यात्रा विवरण :
यात्रा चक्र – (1994)

पत्र संकलन :
अक्षर अक्षर यज्ञ – (1999)।

साक्षात्कार  :
धर्मवीर भारती से साक्षात्कार – (1999)

ग्रंथावली :-
धर्मवीर भारती ग्रंथावली (9 खंडों में) – (1998)।


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