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शक्तिदायी विचार

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :57
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9601
आईएसबीएन :9781613012420

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ये विचार बड़े ही स्फूर्तिदायक, शक्तिशाली तथा यथार्थ मनुष्यत्व के निर्माण के निमित्त अद्वितीय पथप्रदर्शक हैं।


•    असफलता की चिन्ता मत करो; वे बिलकुल स्वाभाविक है, वे असफलताएँ जीवन के सौन्दर्य हैं। उनके बिना जीवन क्या होता? जीवन में यदि संघर्ष न रहे, तो जीवित रहना ही व्यर्थ है- इसी संघर्ष में है जीवन का काव्य। संघर्ष और त्रुटियों की परवाह मत करो। मैने किसी गाय को झूठ बोलते नहीं सुना, पर वह केवल गाय है, मनुष्य कभी नहीं। इसलिए इन असफलताओं पर ध्यान मत दो, ये छोटी फिसलनें हैं। आदर्श को सामने रखकर हजार बार आगे बढ़ने का प्रयत्न करो। यदि तुम हजार बार भी असफल होते हो, तो एक बार फिर प्रयत्न करो।

•    विश्व की समस्त शक्तियाँ हमारी हैं। हमने अपने हाथ अपनी आँखों पर रख लिये हैं और चिल्लाते हैं कि सब ओर अँधेरा है। जान लो कि हमारे चारों ओऱ अँधेरा नहीं है, अपने हाथ अलग करो, तुम्हें प्रकाश दिखाई देने लगेगा, जो पहले भी था। अँधेरा कभी नहीं था, कमजोरी कभी नहीं थी। हम सब मूर्ख हैं जो चिल्लाते हैं कि हम कमजोर हैं, अपवित्र हैं।

•    कमजोरी का इलाज कमजोरी का विचार करना नहीं, पर शक्ति का विचार करना है। मनुष्य को शक्ति की शिक्षा दो, जो पहले से ही उनमें है।

•    अपने आपमें विश्वास रखने का आदर्श ही हमारा सब से पड़ा सहायक है। सभी क्षेत्रों में यदि अपने आप में विश्वास करना हमें सिखाया जाता औऱ उसका अभ्यास कराया जाता, तो मुझे विश्वास है कि हमारी बुराइयों तथा दु:खों का बहुत बड़ा भाग आज तक मिट गया होता।

•    यदि मानवजाति के आज तक के इतिहास में महान् पुरुषों और स्त्रियों के जीवन में सब से बड़ी प्रवर्तक शक्ति कोई है, तो वह आत्माविश्वास ही है। जन्म से ही यह विश्वास रहने के कारण कि वे महान् होने के लिए ही पैदा हुए हैं, वे महान् बने।

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