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शक्तिदायी विचार

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :57
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9601
आईएसबीएन :9781613012420

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ये विचार बड़े ही स्फूर्तिदायक, शक्तिशाली तथा यथार्थ मनुष्यत्व के निर्माण के निमित्त अद्वितीय पथप्रदर्शक हैं।


•    धार्मिक भावना को बिना ठेस पहुँचाये जनता की उन्नति - यही ध्येयवाक्य अपने सामने रखो।

•    शिक्षा, शिक्षा केवल शिक्षा। यूरोप के अनेक शहरों का भ्रमण करते समय वहाँ के गरीबों के भी आराम औऱ शिक्षा का जब मैंने निरीक्षण किया, तो उसने मेरे देश के गरीबों की स्थिति की याद जगा दी औऱ मेरी आँखों से आँसू गिर पड़े। इस अन्तर का कारण क्या है? उत्तर मिला, ‘शिक्षा’। शिक्षा के द्वारा उनमें आत्मविश्वास उत्पत्र हुआ औऱ आत्मविश्वास के द्वारा मूल स्वाभाविक ब्रह्मभाव उनमें जागृत हो रहा है। मेरे जीवन की केवल एक महत्त्वाकांक्षा यह है कि मैं एक ऐसी संस्था एवं कार्यप्रणाली का संचालन करूँ, जो प्रत्येक घर तक श्रेष्ठ विचार ले जा सके और फिर स्त्री तथा पुरुष अपने भाग्य का निर्णय कर लें। वे जान लें कि उनके पूर्वजों तथा दूसरे देशों ने जीवन के अत्यन्त महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर क्या सोचा है। विशेषकर वे देखें कि दूसरे लोग अब क्या कर रहे हैं, और फिर वे निर्णय करें। हमारा काम रासायनिक ह्रव्यों को एक साथ रखना है, रवे बनाने का कार्य प्रकृति अपने नियमों के अनुसार करेगी ही।

•    भविष्य में क्या होनेवाला है यह मैं नहीं देखता, औऱ न मुझे देखने की परवाह ही है। पर जिस प्रकार अपने सामने मैं जीवन प्रत्यक्ष रूप से देख रहा हूँ, उस प्रकार अपने मनश्चक्षु के सम्मुख मुझे एक दृश्य स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है और वह है - मेरी यह प्राचीन मातृभूमि फिर से जग गयी है, वह सिंहासन पर बैठी है, उसमें नवशक्ति का संचार हुआ है, औऱ वह पहले से अधिक गौरवान्वित हो गयी है। संसार के सम्मुख शान्ति एवं कल्याण की मंगलमय वाणी से उसके गौरव की घोषणा करो।

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