लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> शक्तिदायी विचार

शक्तिदायी विचार

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :57
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9601
आईएसबीएन :9781613012420

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

422 पाठक हैं

ये विचार बड़े ही स्फूर्तिदायक, शक्तिशाली तथा यथार्थ मनुष्यत्व के निर्माण के निमित्त अद्वितीय पथप्रदर्शक हैं।


ईश्वर औऱ धर्म

•    प्रत्येक जीव ही अव्यक्त ब्रह्म है। बाह्म एवं अन्त:प्रकृति, दोनों का नियमन कर, इस अन्तर्निहित ब्रह्म–स्वरुप को अभिव्यक्त करना ही जीवन का ध्येय है। कर्म, भक्ति, योग या ज्ञान के द्वारा, इनमें से किसी एक के द्वारा, या एक से अधिक के द्वारा, या सब के सम्मिलन के द्वारा, यह ध्येय प्राप्त कर लो और मुक्त हो जाओ। यही धर्म का सर्वस्व है। मतमतान्तर, विधि या अनुष्ठान, ग्रन्थ, मन्दिर–ये सब गौण हैं।

•    यदि ईश्वर है, तो हमें उसे देखना चाहिए; अन्यथा उन पर विश्वास न करना ही अच्छा है। ढोंगी बनने की अपेक्षा स्पष्ट रूप से नास्तिक बनना अच्छा है।

•    अभ्यास अत्यावश्यक है। तुम प्रतिदिन घण्टों बैठकर मेरा उपदेश सुनते, रहो, पर यदि तुम उसका अभ्यास नहीं करते, तो एक पग भी आगे नहीं बढ़ सकते। यह सब तो अभ्यास पर ही निर्भर है। जब तक हम इन बातों का अनुभव नहीं करते, तब तक इन्हें नहीं समझ सकते। हमें इन्हें देखना और अनुभव करना पड़ेगा। सिद्धान्तों औऱ उनकी व्याख्याओं को केवल सुनने से कुछ न होगा।

•    एक विचार ले लो उसी एक विचार के अनुसार अपने जीवन को बनाओ; उसी को सोचो, उसी का स्वप्न देखो और उसी पर अवलम्बित रहो। अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, स्नायुओं और शरीर के प्रत्येक भाग को उसी विचार से ओतप्रोत होने दो और दूसरे सब विचारों को अपने से दूर रखो। यही सफलता का रास्ता है औऱ यही वह मार्ग है, जिसने महान् धार्मिक पुरुषों का निर्माण किया है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book