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नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590
आईएसबीएन :9781613015827

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


22. अब जब मैंने दसवीं कर ली


अब जब मैंने दसवीं कर ली
आगे भी पढ़ना चाहती थी
पर पिता के मना करने पर
मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी

माँ के साथ काम पर जाती
इससे दुगुनी दिहाड़ी मिल जाती

हर काम मैं कर जाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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