ई-पुस्तकें >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
22. अब जब मैंने दसवीं कर ली
अब जब मैंने दसवीं कर ली
आगे भी पढ़ना चाहती थी
पर पिता के मना करने पर
मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी
माँ के साथ काम पर जाती
इससे दुगुनी दिहाड़ी मिल जाती
हर काम मैं कर जाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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