ई-पुस्तकें >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
20. जो कम बुद्धि सहपाठी होते
जो कम बुद्धि सहपाठी होते
उनके साथ सदा रहती हूँ
उनको पाठ याद कराती
उनसे बैर न रखती हूँ
दोस्ती करती ओर पढ़ाती
उनको प्यार से मैं समझाती
गुरूजनों की आज्ञाकारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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