ई-पुस्तकें >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
16. जब मैंने पूछा माँ से
जब मैंने पूछा माँ से
तब पिता कहने लगे
बेटी ये तो बस हमारी
खुशी के आँसू छलके थे
इन्हें देख कर दुखी ना हो
तुम यूँ ही पढ़ती रहो
इतनी सुन खुश हो जाती हूँ।
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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