ई-पुस्तकें >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
|
6 पाठकों को प्रिय 268 पाठक हैं |
मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
106. यदि नारी मालकिन बने तो
यदि नारी मालकिन बने तो
तो नारी से नारी दुखी
यदि नारी नौकरानी बने
तो भी नारी से नारी दुखी
दुखी है नारी, नारी से ही
जबकि पैदा होती नारी से नारी
नारी से पैदा हुई नारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
¤ ¤
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book