ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
90. तेरी याद दिला जाता है
मुझको हर इक रूप सलोना तेरी याद दिला जाता है।
घर-आँगन का कोना-कोना तेरी याद दिला जाता है।।
याद पुराने दिन आ जाते
और पुरानी बातें।
जब बस बातों ही बातों में
कट जाती थीं रातें।
अब रातों में सपने बोना तेरी याद दिला जाता है।
मुझको हर इक रूप सलोना तेरी याद दिला जाता है।।
जब भी मैं तनहा होता हूँ
तेरी याद सताती।
गुज़रे हुए वक़्त का पूरा
अलबम मुझे दिखाती।
हर फोटो में तेरा होना तेरी याद दिला जाता है।
मुझको हर इक रूप सलोना तेरी याद दिला जाता है।।
यह तो सच है बीते दिन फिर
नहीं लौट कर आते।
लेकिन उनकी यादों को ही
हम गीतों में गाते।
इन गीतों में ख़ुद को खोना तेरी याद दिला जाता है।
मुझको हर इक रूप सलोना तेरी याद दिला जाता है।।
घर-आँगन का कोना-कोना तेरी याद दिला जाता है।।
याद पुराने दिन आ जाते
और पुरानी बातें।
जब बस बातों ही बातों में
कट जाती थीं रातें।
अब रातों में सपने बोना तेरी याद दिला जाता है।
मुझको हर इक रूप सलोना तेरी याद दिला जाता है।।
जब भी मैं तनहा होता हूँ
तेरी याद सताती।
गुज़रे हुए वक़्त का पूरा
अलबम मुझे दिखाती।
हर फोटो में तेरा होना तेरी याद दिला जाता है।
मुझको हर इक रूप सलोना तेरी याद दिला जाता है।।
यह तो सच है बीते दिन फिर
नहीं लौट कर आते।
लेकिन उनकी यादों को ही
हम गीतों में गाते।
इन गीतों में ख़ुद को खोना तेरी याद दिला जाता है।
मुझको हर इक रूप सलोना तेरी याद दिला जाता है।।
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