ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
77. गीतों का उपहार
भेज रहे हैं आज तुम्हें हम गीतों का उपहार।
इन गीतों में बसा हमारे दिल का सारा प्यार।।
पहला गीत हुआ था जब हम
पहली बार मिले थे।
जाने कितने फूल हमारे
मन में तभी खिले थे।
उन फूलों से अब तक महके सुधियों का संसार।
भेज रहे हैं आज तुम्हें हम गीतों का उपहार।।
गीत दूसरा जन्मा था जब
तुम हमको भाये थे।
हमें देखकर तुम भी थोड़ा-
थोड़ा मुस्काये थे।
और तुम्हारे नयनों ने थे किये हृदय पर वार।
भेज रहे हैं आज तुम्हें हम गीतों का उपहार।।
मिलना-जुलना शुरू हुआ फिर
घटी हमारी दूरी।
घंटों-घंटों बातें की पर
कभी हुईं ना पूरी।
जो बातें कीं वही बन गयीं गीतों का आधार।
भेज रहे हैं आज तुम्हें हम गीतों का उपहार।।
इन गीतों में बसा हमारे दिल का सारा प्यार।।
पहला गीत हुआ था जब हम
पहली बार मिले थे।
जाने कितने फूल हमारे
मन में तभी खिले थे।
उन फूलों से अब तक महके सुधियों का संसार।
भेज रहे हैं आज तुम्हें हम गीतों का उपहार।।
गीत दूसरा जन्मा था जब
तुम हमको भाये थे।
हमें देखकर तुम भी थोड़ा-
थोड़ा मुस्काये थे।
और तुम्हारे नयनों ने थे किये हृदय पर वार।
भेज रहे हैं आज तुम्हें हम गीतों का उपहार।।
मिलना-जुलना शुरू हुआ फिर
घटी हमारी दूरी।
घंटों-घंटों बातें की पर
कभी हुईं ना पूरी।
जो बातें कीं वही बन गयीं गीतों का आधार।
भेज रहे हैं आज तुम्हें हम गीतों का उपहार।।
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