ई-पुस्तकें >> मेरे गीत समर्पित उसको मेरे गीत समर्पित उसकोकमलेश द्विवेदी
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कानपुर का गीत विधा से चोली-दामन का रिश्ता है। यहाँ का कवि चाहे किसी रस में लिखे
44. कभी तुम्हारी कॉल न आई
बीत गए कितने दिन लेकिन कभी तुम्हारी कॉल न आई।
और न कोई उत्तर मिलता जब भी मैं करता हूँ ट्राई।।
पूरी-पूरी रिंग जाती है
मगर फोन तुम नहीं उठाते।
इसके पीछे कारण क्या है
वो भी मुझको नहीं बताते।
नम्बर-वम्बर बदल लिया हो तो भी मुझे बता दो भाई।
बीत गए कितने दिन लेकिन कभी तुम्हारी कॉल न आई।।
फोन न करना चाहो तो फिर
कभी किसी दिन घर आ जाओ।
कुछ मैं अपनी तुम्हें सुनाऊँ
कुछ तुम अपनी मुझे सुनाओ।
कब से गीत न सुना तुम्हारा और न अपनी ग़ज़ल सुनाई।
बीत गए कितने दिन लेकिन कभी तुम्हारी कॉल न आई।।
अगर कभी कुछ बुरा लगा हो
तो भी मुझको साफ़ बता दो।
रूठे हो तो रूठे रहना
मगर मनाने का मौका दो।
प्यार-व्यार में सब चलता है- कभी खटाई कभी मिठाई।
बीत गए कितने दिन लेकिन कभी तुम्हारी कॉल न आई।।
और न कोई उत्तर मिलता जब भी मैं करता हूँ ट्राई।।
पूरी-पूरी रिंग जाती है
मगर फोन तुम नहीं उठाते।
इसके पीछे कारण क्या है
वो भी मुझको नहीं बताते।
नम्बर-वम्बर बदल लिया हो तो भी मुझे बता दो भाई।
बीत गए कितने दिन लेकिन कभी तुम्हारी कॉल न आई।।
फोन न करना चाहो तो फिर
कभी किसी दिन घर आ जाओ।
कुछ मैं अपनी तुम्हें सुनाऊँ
कुछ तुम अपनी मुझे सुनाओ।
कब से गीत न सुना तुम्हारा और न अपनी ग़ज़ल सुनाई।
बीत गए कितने दिन लेकिन कभी तुम्हारी कॉल न आई।।
अगर कभी कुछ बुरा लगा हो
तो भी मुझको साफ़ बता दो।
रूठे हो तो रूठे रहना
मगर मनाने का मौका दो।
प्यार-व्यार में सब चलता है- कभी खटाई कभी मिठाई।
बीत गए कितने दिन लेकिन कभी तुम्हारी कॉल न आई।।
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