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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


वह नुस्खा लेकर अंदर चला गया। अंजना चुपचाप खड़ी अपनी कंपन पर काबू पाती रही।

कमल, जो सब कुछ सुन रहा था, सहसा हंस पड़ा। अंजना और भी घबरा गई। इस पर कमल ने कहा-''इसमें उसका कोई दोष नहीं पूनम! कभी-कभी मिलता-जुलता चेहरा इंसान को चक्कर में डाल देता है। याद है, जब मैंने पहली बार तुम्हें देखा था तो मैं भी चकरा गया था!''

राकेश काउंटर पर वापस आ गया था। वह बोला-''मैं भी इन्हें देखकर चकरा गया था। इनकी सूरत हूबहू अंजना से मिलती है। वह मेरे साथ कालेज में पढ़ती थी।''

अंजना शीघ्रता से वे दवाइयां समेटने लगी जो राकेश ने लाकर उसके सामने रख दी थीं।

इतने में कमल ने पूछा-''पूनम! तुम्हारी कोई जुड़वा बहन तो नहीं है?''

''नहीं।'' उसके बदन में दौड़ता हुआ खून क्षण-भर के लिए रुक गया।

''ठहरिए। शायद मेरे कालेज ग्रुप में इनका फोटो भी हो।'' राकेश ने बिल बनाकर कहा और फिर अंदर जाने लगा।

''रहने दीजिए, हमें बहुत जल्दी है। फिर कभी सही।'' अंजना ने यह कहकर उसे रोक दिया और बिल के पैसे देकर अपनी घबराहट समेटे कमल के साथ बाहर जाने लगी।

राकेश ने उन्हें पुकारा। वह बकाया लेना भूल गई थी।

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