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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''उनका मुररस्कराता हुआ चेहरा देखकर मांजी और बाबूजी रोने लग जाते हैं।

''आह!'' उसने एक गहरा सांस लिया।

''जी, तभी तो उनकी सब तस्वीरों को उन्हीं के कमरे में रखकर उसे बन्द कर दिया गया है।''

अंजना ने घर के भूगोल को फिर से जांचना शुरू किया और बोली-''कहां है उनका कमरा?''

''वह।'' रमिया ने उंगली के इशारे से उस जीने की ओर इशारा किया जो सीधा एक कमरे तक जाता था। उसके दोनों किवाड़ बंद थे जैसे वह कमरा अपने में कोई गहरी और दर्दनाक दास्तान छिपाए हुए हो।

अंजना चुपचाप उस कमरे की ओर देखने लगी। रमिया ने उसे फिर झंझोड़ा-''जब से उनकी बुरी खबर मिली है, नौकरों के सिवा उस कमरे में कोई नहीं जाता।''

अंजना यह सुनकर परेशान-सी हो गई और अपना दुशाला उतारकर आराम से बैठ गई। उसने रमिया से कहा कि हवा लग जाने से उसके सिर में हल्का-हल्का दर्द होने लगा है। कहने की देर थी कि रमिया झट से उठी और चाय बनाने के लिए रसोईघर में चली गई।

अंजना ने एक गहरा सांस लिया और अपनी जगह से उठकर कमरे में सजी हुई चीज़ों को देखने लगी। फिर वह धीरे-धीरे उस जीने तक चली गई जो सीधा शेखर के कमरे की ओर जाता था। वह उसकी तस्वीर देखने के लिए बेचैन थी, लेकिन उसकी निगाहें कमरे के बंद दरवाजे से टकराकर लौट आतीं। उसमें ऊपर कमरे तक जाने का साहस नहीं था।

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