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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


शेखर की मां, जो पूजा के लिए भगवान की मूर्ति के सामने बैठी अपने पाप-पुण्य का हिसाब लगा रही थीं, घर में कुछ आवाज़ों की भनक पाकर उस ओर आकर्षित हुईं। इतने में घर की नौकरानी रमिया ने आकर उन्हें पूनम बहू के आने की खबर सुनाई। फिर क्या था, शांति खुशी के मारे पागल हो गईं। उन्हें लगा जैसे भगवान ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उनकी झोली वरदानों से भर दी है।

अत्यधिक प्रसन्नता के मारे उनकी जबान गुंग हो गई। वहीं बुत बनी बैठी रह गईं। नौकरानी रमिया का सहारा लेकर किसी तरह उठीं और बहू को देखने चलीं।

वे जब बहू के सामने आईं तो अंजना को यह समझने में देर न लगी कि वही पूनम की सास हैं। उसने सास के पांव छूकर प्रणाम किया और गले मिलकर रोने लगी। शांति ने बहू को चुप कराने के बाद राजीव को अपने पति की गोद से ले लिया और उसे चूमने-चाटने लगीं। उनकी आंखों से बहते हुए खुशी के आंसुओं ने सबको विकलता से भर दिया। उन्हें तो ऐसा लगा जैसे उनका शेखर लौट आया हो। उनके अंधेरे दिल में ममता की किरणें फूट पड़ीं।

नौकरानी रमिया बहू को अन्दर ले गई और रंगा माली बहूरानी का सामान उतारने के लिए जीप की ओर बढ़ा। लाला जगन्नाथ और उनकी पत्नी शांति बार-बार कमल के सामने अपनी कृतज्ञता प्रकट करने लगे। उन्होंने यह जानने के लिए कि पूनम कहां और कैसे मिली, प्रश्नों की बौछार कर दी।

अंजना घर के सदर हाल के एक कोने में बिछे हुए सोफे पर जा बैठी। रमिया खुशी से दीवानी हुई उसके इर्द-गिर्द चक्कर-सा लगा रही थी। अंजना के कानों में अभी तक कमल की आवाज सनसना रही थी जो बाहर बैठा रेलगाड़ी की दुर्घटना और उसके बाद की घटनाओं का विवरण बता रहा था।

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