ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
अंजना ने देखा कि यह सब कहते हुए कमल की आंखों में आंसू आ गए। वह भावुकता में बह गया।
अंजना ने एक तरह से इस बात का वादा करते हुए कहा-''आपको उनसे इतनी हमदर्दी है, मुझे मालूम नहीं था।''
कमल ने डबडबाई आंखों से अंजना की ओर देखा।
वह तनिक रुककर फिर बोली-''उनकी सेवा तो मेरा धर्म है, मेरी आराधना है। मैं कोशिश करूंगी कि उनका दिल कभी दुखी न हो। उस घर की इज्जत अब मेरी इज्जत है।''
अंजना इससे अधिक और कुछ न कह सकी और जल्दी-जल्दी चाय पीकर अन्दर चली गई। कमल चुपचाप बैठा नाश्ता करता रहा और सोचता रहा कि उसने यह सब कुछ अंजना से कहकर अच्छा किया या बुरा किया; लेकिन वह किसी नतीजे पर न पहुंच सका।
अंजना जब कमरे में पहुंची तो उस समय घर का नौकर राजीव को लिए बगीचे में खड़ा था और उसे पालतू कबूतर दिखा रहा था। वह भी खिड़की का सहारा लेकर उन्हें देखने के लिए खड़ी हो गई।
कुछ देर बाद वहां से हटकर वह सामने के बुकशेल्फ के पास आई और कुछ किताबें निकालकर देखने लगी। अधिकतर कविता की पुस्तकें थीं और हर किताब पर कमल का नाम लिखा हुआ था, खरीदने की तारीख भी लिखी हुई थी। इससे एक बात का पता चल गया कि कमल को कविता-अध्ययन का बड़ा पुराना शौक है।
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