ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''हां बनवारी! याद है एक दिन ऐसी ही एक अंधरी रात को तुमने इसके कारण मुझे ठुकरा दिया था, लेकिन आज...''
''तुम कहना क्या चाहती हो?''
''दिल की वह बात जो आज तक न कह सकी। आज जब सारी दुनिया ने मुझे ठुकरा दिया है तो क्या तुम मुझे सहारा नहीं दोगे? वह सजल नेत्रों से उसकी ओर देखते हुए बोली और उसने फिर आगे बढ़कर उसके बाजू का सहारा ले लिया। शबनम यह देखकर भिन्ना गई। उधर बनवारी अंजना के इस व्यवहार से विचित्र असमंजस में पड़ गया। अंजना फिर गिड़गिड़ाकर बोली-''बनवारी! पुलिस को सन्देह है कि यह हत्या तुमने की है। रमिया ने अपनी जान बचाने के लिए तुम्हारा नाम ले दिया है। वह कहती है कि जिस रात डिप्टी साहब की हत्या हुई, उस रात तुम मुझसे मिलने गए थे।''
''यह सब झूठ है।'' वह सटपटाकर बोला।
''मैं कब कहती हूं कि सच है! मैं तो जानती हूं कि तुम उस रात मुझसे नहीं मिले। लेकिन तुम्हारा अब यहां रहना खतरे से खाली नहीं। आओ, हम दोनों यहां से भाग चलें।''
''यह इतना आसान न होगा अंजू! मेरे होते तुम बनवारी को छू तक नहीं सकतीं''-और शबनम जहरीली नागिन की तरह बल खाकर उनके सामने खड़ी हो गई।
''याद है शबनम! एक दिन इसी तरह तुमने मेरा सब कुछ छीन लिया था-और अब...''
''और अब तुम मेरी मोहब्बत को छीनने आई हो?''
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