ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
यह कहकर वह उस किताब की ओर बढ़ी जो मेज पर रखी थी। कम सोने के कारण लाला जगन्नाथ देर तक किसी न किसी पुस्तक का अध्ययन करते रहते थे। अंजना यह बात भली भांति जानती थी। इसीलिए वह किताब उठाकर उसने उनके पास रख दी और फिर उनका चश्मा उठाकर उन्हें पकड़ा दिया।
बहू की सेवा देखकर उनका दिल पिघल गया और कुछ क्षणों के लिए वे यह भूल गए कि वह उनकी असली बहू नहीं है, बल्कि नकली बहू बनकर उन्हें अपनाने आई है।
जब वह घर से बाहर कमल के साथ थी तो वे अन्दर ही अन्दर खौल रहे थे, और अब जब बह उनके सामने खड़ी थी तो वे उसकी सारी कमजोरियों को भूलकर उसके अस्तित्व में एक देवी का प्रतिबिंब देख रहे थे।
''पूनम!'' सहसा उन्होंने बहू का नाम लेकर पुकारा। उनकी जबान से पहली बार अपना नाम सुनकर अंजना चकित हुई और वह कुछ उखड़ी-उखड़ी निगाहों से उनकी ओर देखने लगी। उनकी आंखों में एक चमक उभर आई थी।
''कई रोज से सोच रहा था कि तुमसे एक बात कहूं।''
अंजना उनकी बात सुनकर घबरा गई। आज वह उनकी हर बात पर घबरा भी रही थी।
उन्होंने उसे मौन दैखकर वाक्य पूरा कर दिया-''लेकिन डरता हूं कहीं तुम बुरा न मान जाओ।''
''नहीं, नहीं। ऐसी क्या बात है! आप कहिएगा।'' उसने अपनी घबराहट को छिपाने का यत्न करते हुए कहा।
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