ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
अंजना ने उन्हें अपने दिल के फैसले से सूचित कर दिया और अपने कमरे में चली गई। शालिनी ने भी उसका पीछा किया। लालाजी और कमल दोनों एक-दूसरे की ओर देखते रह गए।
बहू राजीव से इतना स्नेह रखती है, उन दोनों को यह जानकर कुछ अजीब-सा लगा।
''कमल!''
''यस अंकिल!''
''कभी-कभी यह सोचकर दिल दहल जाता है कि मेरे बाद बहू का क्या होगा!''
''आप भी क्या सोचने लगे? कल किसने देखा है?''
''तुम ठीक कहते हो, लेकिन आज को तो परख रहा हूं।''
''मैं समझा नहीं।''
''पड़ोस की मिसेज मुखर्जी कह रही थीं कि बहू को हर किसी से घुल-मिलकर नहीं रहना चाहिए। बदनामी का खतरा रहता है। खानदान की इज्जत का सवाल है।''
''वह तो कहेगी ही। विधवा है ना! किसी दूसरे को हंसता कैसे देख सकती है? वरना सारा नैनीताल जानता है कि वह क्या है।''
''लेकिन हमें तो जमाने के साथ चलना चाहिए। इसी समाज में रहना है हमें।''
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