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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


कमल उसकी यह बात सुनकर झेंप गया। उसने ज्योंही उससे निगाहें मिलाईं, शालों ने मुंह मोड़ लिया। क्रोध और घबराहट से उसके नथने फूल गए थे। वह कंधा झटककर उठी। कॉफी का प्याला उठाया और बिना कुछ कहे-सुने लाइब्रेरी से बाहर चली गई।

कमल का दिल बुझ गया। पूनम के बारे में घरवालों से बात करने से पहले उसने बहन का दिल टटोलकर देखने की कोशिश की थी। अब उसका रुख देखकर उसके मन पर निराशा की बदलियां छा गईं। वह पुन: अपनी दुनिया में लौट आया। सामने जंगलों के नक्शे और ठेकेदारों की फाइलें रखी थीं, जिनका निरीक्षण करके सुबह से पहले उसे पूरे साल की रिपोर्ट तैयार करनी थी।

वह फिर अपने काम में लग गया। बाहर तूफान बढ़ता ही जा रहा था। वर्षा का शोर और बादलों की गरज फिर उसके कानों से टकराने लगी, लेकिन इतने शोर में भी शालो की वह आवाज उसे सुनाई दे रही थी जिसने उसकी आशाओं पर पानी फेर दिया था-'विधवा! और वह भी एक बच्चे की मां! क्या दुनियार-भर की क्वांरी लड़कियां मर गई हैं जो तुमने ऐसा सोचा भइया?

जहां कमल आधी रात को अकेला अपनी तकदीर का फैसला कर रहा था वहां अंजना ने भी मन ही मन प्रण कर लिया कि वह इस जाल को तोड़कर बाहर आएगी जिसके तारों ने उसके जीवन का प्रत्येक क्षण जकड़ रखा है। वह आज आकाश के उन बादलों की तरह फट जाना चाहती थी ताकि उसके सीने में दबी हुई सारी आकाक्षाएं निकल जाएं और वह सुख और शांति से सांस ले सके।

घनघोर वर्षा वायुमंडल में ऊधम मचाए हुए थी, लेकिन वह सब कुछ भूल-बिसारकर अपने बिस्तर में बैठी अपनी जीवन-गाथा लिखती जा रही थी। वह पूनम का आवरण उतारकर अंजू के अस्तित्व को फिर से सामने ले आना चाहती थी। रात-दिन की घुटन, समाज का भय, बनवारी की धमकियां और वे भावनाएं जो कमल के प्यार में अगारों की तरह उसके सीने में दबी दहक रही थीं, वह उन सबको स्याही से कागज पर अंकित करना चाहती थी। आज वह कमल को सब कुछ लिख देना चाहती थी ताकि उसके प्रेम में उसका पाप बाधा न डाल सके, अतीत की परछाइयों की मनहूस छाया न पड़ सके।

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