ई-पुस्तकें >> कटी पतंग कटी पतंगगुलशन नन्दा
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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।
''वह कोई गलत फैसला भी दे सकता है!''
''मुझे मंजूर होगा।''
''सोच लो यह तुम्हारी ज़िंदगी का सवाल है।''
''सोच लिया।''
''तो शायद मैं तुम्हारे सपनों को तोड़ने जा रही हूं'।''
''कैसे?''
''मुझे लड़की पसंद नहीं।''
अंजना के इस उत्तर पर कमल की हंसी छूट गई। जीप गाड़ी फिर से गहरे धुंध में घिर गई थी। इस कारण दोनों एक-दूसरे को बड़ी मुश्किल से देख पा रहे थे। उसे गाड़ी चलाना वैसे भी दूभर हो रहा था। हंसते-हंसते उसने गाड़ी की चाल तेज कर दी और अपनी हंसी को रोकते हुए बोला-''मुझे यकीन था, तुम्हारी पसंद कभी गलत नहीं हो सकती।''
''वह कैसे?''
''कमलेश जैसी जाहिल को न चुनकर! जानती हो, तुम्हारे बाथरूम में चले जाने के बाद उसने क्या किया?''
''ऊं हूं।''
''सामने की मेज से दो लड़के पकड़ लाई और उन्हें अपना ब्वाय फ्रेंड बताकर मुझसे उनका परिचय कराया।''
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