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कटी पतंग

गुलशन नन्दा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :427
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9582
आईएसबीएन :9781613015551

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एक ऐसी लड़की की जिसे पहले तो उसके प्यार ने धोखा दिया और फिर नियति ने।


''अपने कमल बाबू को भी बचपना बेहद पसंद है।''

अंजना ने वार्ता में गरमी पैदा करते हुए कहा।

उसकी इस बात मे कमल को एक ठेस पहुंची। उसने तिरछी नजरों से अंजना के होंठों में दबी मुस्कान देखी और मिसेज खन्ना से संबोधित हुआ-"आप ठीक कहती हैं। हमारी पसंद तो डनकी पसंद है।' यह कहते हुए उसने अंजना की ओर इशारा किया।

''तब तो मैं समझूं कि मेरी कमलेश इनको पसंद आ गई!'' कमलेश की मम्मी ने चहककर अंजना का हाथ थाम लिया।

'जी, वह तो है ही, लेकिन घर में मां-बाप से राय भी तो करनी है।'' अंजना तनिक घबरा गई और उसने धीरे से अपनी उंगलियों को मिसेज खन्ना के हाथ से छुड़ा लिया।

मिसेज खन्ना और कमलेश के चेहरे का रंग जरा देर के लिए फीका पड़ गया।

बैरे ने आकर चाय की ट्रे और आइस क्रीम रख दी। कमल ने अपने सामने से ट्यूटी फ्रूटी का गिलास सरकाकर कमलेश के सामने कर दिया।

अंजना चाय बनाने लगी। कमलेश बार-बार तिरछी नजरों से कमल की ओर देख रही थी! मिसेज खन्ना ने चिकोटी काटी और वह अपनी मां का इशारा समझकर चाय बनाने के लिए बढी। शक्करदानी उठाकर कनखियों से कमल की ओर देखते हुए पूछा-''शक्कर? ''

''आधा चिम्मच।''

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