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कह देना
कह देना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9580
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आईएसबीएन :9781613015803 |
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3 पाठकों को प्रिय
278 पाठक हैं
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
४३
राहज़न आदमी, राहबर आदमी
राहज़न आदमी, राहबर आदमी
कैसे-कैसे दिखाता है फ़न आदमी
अपने सीने में लेकर जलन आदमी
फिर रहा है चमन-दर-चमन आदमी
आख़री साँस तक पूरे होंगे नहीं
देखता ही रहेगा सपन आदमी
सुब्ह से शाम तक, शाम से सुब्ह तक
बाँधे रहता है सर से कफ़न आदमी
‘क़म्बरी; की तरह कोई मिलता नहीं
यूँ तो लाखों मिले बासुख़न आदमी
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