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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580
आईएसबीएन :9781613015803

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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें


१३

ख़याले यार मन में आ गया है


ख़याले यार मन में आ गया है
ख़लल पूजा-भजन में आ गया है

वो रहबर बन के हमको लूटता है
सलीक़ा राहज़न में आ गया है

जिसे खोटा समझता था ज़माना
वो सिक्का फिर चलन में आ गया है

महाभारत का होना तय समझिये
शकुनि संसद भवन में आ गया है

गुलो-बुलबुल ज़रा रहना सँभल कर
सितमगर फिर चमन में आ गया है

कुछ अपने शेर लेकर ‘क़म्बरी’ भी
तुम्हारी अंजुमन में आ गया है

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