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कह देना
कह देना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9580
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आईएसबीएन :9781613015803 |
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3 पाठकों को प्रिय
278 पाठक हैं
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
१३
ख़याले यार मन में आ गया है
ख़याले यार मन में आ गया है
ख़लल पूजा-भजन में आ गया है
वो रहबर बन के हमको लूटता है
सलीक़ा राहज़न में आ गया है
जिसे खोटा समझता था ज़माना
वो सिक्का फिर चलन में आ गया है
महाभारत का होना तय समझिये
शकुनि संसद भवन में आ गया है
गुलो-बुलबुल ज़रा रहना सँभल कर
सितमगर फिर चमन में आ गया है
कुछ अपने शेर लेकर ‘क़म्बरी’ भी
तुम्हारी अंजुमन में आ गया है
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