ई-पुस्तकें >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
११३
यार ऐसे बैठ कर मत हाथ मल
यार ऐसे बैठ कर मत हाथ मल
हाथ आया वक्त जायेगा निकल
बन के सूरज इस क़दर तू मत उछल
शाम होते ज़िन्दगी जायेगी ढल
ये सियासत हो रही है आजकल
कर रहें हैं मौज नेता दल-बदल
इक ख़ुशी का पल यहाँ आया तो था
काश वो रुकता मेरे घर पल-दो-पल
चार ही क़दमों प है मंजिल मगर
चलते-चलते पाँव हो जाते हैं शल
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