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कह देना
कह देना
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ :
ईपुस्तक
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पुस्तक क्रमांक : 9580
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आईएसबीएन :9781613015803 |
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3 पाठकों को प्रिय
278 पाठक हैं
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
१०३
मैं आईना हूँ किसी को दिखा लिया होता
मैं आईना हूँ किसी को दिखा लिया होता
गिरा के मुझको कभी आज़मा लिया होता
ये बस्तियाँ तो बहुत पहले जल गयी होतीं
जो हमने अपना यहाँ घर बना लिया होता
चराग़ करते हो रौशन तो मस्जिदों में मगर
चराग़ पहले घरों में जला लिया होता
अना हमारी वहीं टूट कर बिखर जाती
जो हमने होंठ से साग़र लगा लिया होता
तुम्हारा दिल भी बहलता, सुकून भी मिलता
हमारा गीत अगर गुनगुना लिया होता
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