लोगों की राय
ई-पुस्तकें >>
ज्ञानयोग
ज्ञानयोग
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :104
मुखपृष्ठ :
Ebook
|
पुस्तक क्रमांक : 9578
|
आईएसबीएन :9781613013083 |
 |
|
7 पाठकों को प्रिय
335 पाठक हैं
|
स्वानीजी के ज्ञानयोग पर अमेरिका में दिये गये प्रवचन
एक वृक्ष पर दो पक्षी बैठे थे। शिखर पर बैठा हुआ पक्षी शान्त, महिमान्वित, सुन्दर और पूर्ण था। नीचे बैठा हुआ पक्षी बार-बार एक टहनी से दूसरी पर फुदक रहा था और कभी मधुर फल खाकर प्रसन्न तथा कभी कड़वे फल खाकर दुःखी होता था। एक दिन उसने जब सामान्य से अधिक कटु फल खाया तो उसने ऊपरवाले शान्त तथा महिमान्वित पक्षी की ओर देखा और सोचा, ''उसके सदृश हो जाऊँ तो कितना अच्छा हो!'' और वह उसकी ओर फुदक कर थोड़ा बढ़ा भी। जल्दी ही वह ऊपर के पक्षी के सदृश होने की अपनी इच्छा को भूल गया? और पूर्ववत् मधुर या कटु फल खाता एवं सुखी तथा दुःखी होता रहा। उसने फिर ऊपर की ओर दृष्टि डाली और फिर शान्त तथा महिमान्वित पक्षी के कुछ निकटतर पहुँचा। अनेक बार इसकी आवृत्ति हुई और अन्तत: वह ऊपर के पक्षी के बहुत समीप पहुँच गया। उसके पंखों की चमक से वह (नीचे का पक्षी) चौंधिया गया और वह उसे आत्मसात् करता-सा जान पड़ा। अन्त में उसे यह देखकर बड़ा विस्मय और आश्चर्य हुआ कि वहाँ तो केवल एक ही पक्षी है और वह स्वयं सदैव ऊपरवाला ही पक्षी था। पर इस तथ्य को वह केवल अभी समझ पाया!
द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया समानं वृक्ष परिषस्वजाते।
तयोरन्यः पिप्पलं स्याद्वत्यनश्नन्नन्यो अभिचाकशीति।।
समाने वृक्षे पुरुषो निमग्नोऽनीशया शोचति मुह्यमानः।
जुष्टं यदा पश्यत्यन्यमीशमस्य महिमानमिति वीतशोकः।।
- मुण्डक उपनिषद् 3.1.1-2
मनुष्य नीचेवाले पक्षी के समान है, लेकिन यदि वह अपनी सर्वश्रेष्ठ कल्पना के अनुसार किसी सर्वोच्च आदर्श तक पहुँचने के प्रयत्न में निरन्तर लगा रहे तो वह भी इस निष्कर्ष पर पहुँचेगा कि वह सदैव आत्मा ही था, अन्य सब मिथ्या या स्वप्न था। भौतिक तत्त्व और उसकी सत्यता में विश्वास से अपने को पूर्णतया पृथक् करना ही यथार्थ ज्ञान है। ज्ञानी को अपने मन में निरन्तर रखना चाहिए - ॐ तत् सत् अर्थात् ॐ ही एकमात्र वास्तविक सत्ता है। तात्विक एकता ज्ञानयोग की नींव है। उसे ही अद्वैतवाद (द्वैत से रहित) कहते हैं।
...Prev | Next...
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai