लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> घुमक्कड़ शास्त्र

घुमक्कड़ शास्त्र

राहुल सांकृत्यायन

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :265
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9565
आईएसबीएन :9781613012758

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

322 पाठक हैं

यात्रा संग्रहों के प्रणेता का यात्रा संस्मरण

उपरोक्त देशों में जिन साधनों की आवश्यकता है, वही साधन सभी देशों में काम नहीं आ सकते। रूस और पूर्वी यूरोप की जानकारी के साधनों का संचय तो होना ही चाहिए, साथ ही यदि घुमक्कड़ संस्कृत के भाषा-तत्व का ज्ञान रखना है, तो स्लाव-भाषाओं के महत्त्व को ही नहीं समझ सकता, बल्कि स्लाव-जातियों के साथ आत्मीयता का भाव भी पैदा कर सकता है। किसी जाति के इतिहास के जानने से ही आदमी उस जाति को समझ सकता है। जातियों के प्राग-ऐतिहासिक ज्ञान के लिए भाषा बड़ा महत्व रखती है।

इस्लामी देशों में घुमक्कड़ी करने वाले तरुणों को इस्लाम के धर्म और इतिहास का परिचय होना चाहिए। साथ ही जहाँ अधिक रहना हो, वहाँ की भाषा का भी परिज्ञान होना जरूरी है। पश्चिमी एसिया और मध्य एसिया की मुस्लिम जातियों के साथ अधिक सुभीते से परिचय करने के लिए केवल तीन भाषाओं की आवश्यकता होगी - तुर्की, फारसी और अरबी। संस्कृत जानने वाले के लिए भाषातत्व की कुंजी के साथ फारसी बहुत सुगम हो जाती है।

भाषा-तत्व, पुरातत्व आदि बातों पर ध्यान आकृष्ट करने का यह अर्थ नहीं कि जब तक व्यक्ति इन विषयों पर अधिकार प्राप्त नहीं कर लेता, तब तक वह घुमक्कड़ बनने का अधिकारी नहीं। घुमक्कड़-शास्त्र सभी रुचि और क्षमता वाले भावी घुमक्कड़ों के लिए लिखा गया है, इसलिए इसमें अधिक-से-अधिक बातों का समावेश है, जिसका यह अर्थ नहीं कि आदि से इति तक सभी चीजें हरेक को जान कर ही घर से पैर निकालना चाहिए।

 

0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book