लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> गंगा और देव

गंगा और देव

आशीष कुमार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9563
आईएसबीएन :9781613015872

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

184 पाठक हैं

आज…. प्रेम किया है हमने….


‘‘अच्छा!‘‘ मामी को बड़ा आश्चर्य हुआ।

देव जब आठ साल का था तो कहता था कि मरते मर जाएगा पर कभी शादी नहीं करेगा। किसी लड़की को खुद से खूटें की तरह सारी जिन्दगी के लिए नहीं बाँधेगा। मैंने जाना....

‘‘क्या बहुत सुन्दर है? क्या बहुत गोरी है? क्या बहुत पैसेवाली है?‘‘ धाँय! धाँय! धाँय! मामी ने एक के बाद एक तीन सवाल फायर किये। शादी की बात सुनते ही वो काफी रोमान्चित हो गई थी। उन्होंने मिर्ची, प्याज काटने का काम जो वो कर रही थीं बीच में ही रोक दिया। मैंने गौर किया....

‘‘गोरी तो नहीं पर साँवली है!‘‘ देव बोला।

‘‘क्यों?‘‘ मामी ने पूछा।

...फिर जब देव अट्ठारह साल का हुआ तो कहने लगा कि वो शादी करेगा तो सिर्फ गोरी लड़की से। मैंने जाना....

मुहल्ले में एक बार बारात आई। शरारती और महाचंचल देव ने टेन्ट के पीछे से छिपकर देखा। दूल्हा काला था। देव ने ये बात सभी को बता दी। पाँच मिनट के अन्दर सारे घरवाले, रिश्तेदार, पड़ोसी व अन्य मेहमान जान गये कि दूल्हा काला है।

जब लड़की ने जाना कि उसका होनेवाला पति काला है तो वो फूट-फूट कर रोने लगी, अपनी किस्मत को कोसने लगी, तरह-तरह से बड़बड़ाने लगी, बड़ा भयन्कर विलाप करने लगी। इतना ही नहीं उसने लड़के के साथ फेरे लेने से भी मना कर दिया।

फिर घर के बड़े-बूढ़ों ने किसी तरह लड़की को समझा बुझा कर शादी करायी। लड़की की माँ ने देव को हजारों गालियाँ दी और झाडू लेकर दौड़ाया। देव ने भागकर किसी तरह अपनी जान बचायी। मैंने जाना...

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai