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गंगा और देव
गंगा और देव
प्रकाशक :
भारतीय साहित्य संग्रह |
प्रकाशित वर्ष : 2016 |
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ :
Ebook
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पुस्तक क्रमांक : 9563
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आईएसबीएन :9781613015872 |
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7 पाठकों को प्रिय
184 पाठक हैं
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आज…. प्रेम किया है हमने….
अब ये कहानी सुनने के बाद आज! मेरा भी मन करता है कि मैं भी...... शादी कर लूँ
अगर इतनी ही रोमान्टिक होती है शादियाँ तो अब मुझे भी करनी है शादी किसी से! गंगा और देव को देख मैंने निर्णय लिया....
अब जब ये कहानी कोई किसी को सुनाता था तो इस प्रकार.....
एक थी गंगा....
और एक था देव!
गंगा थी राजकुमारी
और राजकुमार था देव!
राजकुमार को हुआ राजकुमारी से प्यार।
पर ये क्या?? राजकुमारी ने किया इन्कार।
धरती काँपी! बिजली चमकी! आकाश में मची हाहाकार
हुई बड़ी मारामार....
अन्त में... राजकुमारी ने पहचाना राजकुमार का प्यार
और किया प्यार का इजहार
राजकुमार बना राजा
राजकुमारी बनी रानी
राजा को मिली और खत्म हुई कहानी
खेल खतम
पैसा हजम!
हा! हा! हा!.... मैं जोर से हँस पड़ा।
।। समाप्त ।।
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पुस्तक का नाम
गंगा और देव
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