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गंगा और देव

आशीष कुमार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :407
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9563
आईएसबीएन :9781613015872

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आज…. प्रेम किया है हमने….


‘‘चलिए साथ में ढूँढते हैं!‘‘ वो बोली

‘‘मेरा नाम गायत्री है। ...गायत्री साहू! मैं ललितपुर से आयी हूँ‘‘ गायत्री बोली।

‘‘मेरा नाम देव है! ...देव कश्यप! .....मैं गोशाला से हूँ!‘‘ देव ने गायत्री को अपना परिचय दिया।

‘‘ये ललितपुर कहाँ पड़ता है गायत्री? देव ने पूछा।

‘‘यही पास में लगभग यहाँ से 15 किमी दूर है! बस आधे घंटे का रास्ता है! मैं तो आटो से आयी हूँ!‘‘ गायत्री बोली।

‘‘अच्छा! अच्छा!‘‘ देव ने हाँ मे सिर हिलाया ।

‘और आप?’ गायत्री ने पूछा।

‘मैं बस से आया हूँ! गोशाला यहाँ से तीस किलोमीटर है ना! इसीलिए!’ देव ने बताया।

‘मैंने गोशाला के बारे में बहुत सुना है! पर कभी गई नहीं! कभी ललितपुर से बाहर जाने का काम ही नहीं पड़ा!’ पतली-दुबली गायत्री बोली।

‘अच्छा! अच्छा!’ देव बोला।

गायत्री का व्यक्तित्व बहुत ही सरल व शालीन था। उसकी आवाज मंल वही विनम्रता थी जो एक विशुद्ध भारतीय लड़की में होती है जो सदैव धीमे स्वर में मर्यादित लहजे में बोलती है। मैंने गौर किया....

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बी.एड की क्लास शुरू हो गई।

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