लोगों की राय

ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट

फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

347 पाठक हैं

जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

85


हमने साथ नाश्ता किया और उसके बाद उसने साथ बैठकर मेरे सारे फोटो एलबम देखे। उसे मेरे घर की सजावट कुछ ठीक नहीं लग रही थी इसलिए हम दोनों ने मिलकर एक बार फिर से उसे नये सिरे से सजाया। सोनाली ये वक्त सिर्फ मेरे साथ बिताना चाहती थी, उसने मेट को छुट्टी दे दी। उस दिन उसी ने मेरे लिए खाना पकाया और मेरे साथ खाया। न जाने कितने वक्त बाद मैं इस तरह घर का काम कर रहा था। थकान तो हुई लेकिन इस जिस्मानी थकान ने उस जज्बाती थकान को लगभग खत्म कर दिया था जो एक लम्बे वक्त से मुझ पर छायी थी। मैंने शायद यामिनी के साथ भी खुद को इतना हल्का महसूस नहीं किया होगा। हो सकता है इसलिए कि हमारे बीच हमेशा ही एक अच्छा खासा फासला रहा, या हो सकता है इसलिए कि उसने सच्चाई से कभी मुझे चाहा ही नहीं।

सोनाली मेरी जिन्दगी की पहली और आखिरी लड़की थी जिसके हर उस पल को मैंने कीमती समझा, जो वो मुझ पर खर्च कर रही थी। उस रोज मैं उसके सिवा कुछ और देखना नहीं चाहता था। उसकी आवाज के सिवा कुछ और सुनने को राजी न था..... अपना एक पल भी किसी और पर जाया नहीं करना चाहता था, जब तक वो मेरे साथ थी।

न जाने क्यों अच्छा वक्त बहुत जल्द गुजर जाता है?

मैं कितना नाखुश था जब वो जाने की तैयारी कर रही थी। मेरे ही कमरे में मेरे ड्रेसिंग के सामने खड़ी वो अपने बाल संवार रही थी।

‘उन्हें खुले रहने दो....’ मैं कह तो गया लेकिन.... लेकिन कितना मुश्किल था।

उसने जवाब नहीं दिया लेकिन हाँ बाल बाँधे भी नहीं।

सारा दिन उसने मुझसे जाने कितना कुछ कहा, सुना लेकिन वो मेरे बारे में क्या सोचती है? क्या निष्कर्ष है उस बहस का, ये मैं अब तक नहीं जानता था। और जानना बेहद जरूरी था मेरे लिए.... ताकि उसके लिए जो तूफान मेरे अन्दर उठ गया है उसे बता सकूँ कि मुझे डुबा दे या थम जाये।

वो अपने पर्स में कुछ खोजने में गुम थी।

‘सोनू मैंने ये सवाल पहले कभी किसी से नहीं किया, क्योंकि ना तो वो लोग मेरे लिए जरूरी थे और ना उनकी सोच लेकिन....’ अपनी मध्यमिका में पहनी अँगूठी को घुमाते हुए- ‘मैं पूछना चाहता था कि....’ मेरे लफ्ज गुम हो रहे थे।

‘क्या?’ उसने उत्सुकता से मेरी तरफ देखा।

‘एम आई ए फ्लर्ट?’ मैंने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा। उसके चेहरे से तनाव एक हल्की हँसी के साथ खत्म हो गया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book