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फ्लर्ट

प्रतिमा खनका

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :609
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9562
आईएसबीएन :9781613014950

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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।

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यामिनी इस फील्ड को पूरी तरह छोड़ने वाली थी। अब बस वो सिर्फ उन्हीं कम्पनियों के लिए काम कर रही थी जिनसे उसके बेहद अच्छे सम्बन्ध थे या फिर पुराने कान्ट्रेक्ट। दूसरी तरफ मैं भी अपनी भावनाओं की आवाज दबाने में कामयाब हो रहा था लेकिन ना जाने किस्मत को क्या मन्जूर था कि एक बार फिर संजय के एक नये ऑफर ने हम दोनों का आमने-सामने ला खड़ा किया।

कुछ हफ्तों से संजय एक नये प्रॉजेक्ट और एक नयी लड़की के साथ मशरूफ था। वक्त की तंगी मेरे पास भी थी सो हम दोनों एक दूसरे को इस बीच कम ही देख पाते थे। एक ही फ्लैट में रहने और एक ही जगह काम करने के बावजूद भी हमारी ज्यादातर बातचीत सिर्फ हमारे मोबाइल फोन पर निर्भर थीं। एक दिन संजय ने मुझे फोन पर किसी बड़ी डील के मिल जाने की खबर दी। काम क्या था या क्लाइन्ट कौन था ये मुझे उससे मिलकर ही पता चलता।

उसने मुझे तुरन्त ही पोर्टिको बुलाया ताकि आराम से बात कर सके। मैंने यही किया

‘ओह माई गॉड! रियली?’ कुछ सुनते ही मेरे कानों में से जैसे धुँआ निकल गया।

‘येस।’ वो अपनी चेयरमैन की कुर्सी पर बैठा मुस्कुरा रहा था।

‘और कौन है वो अभागन लड़की?’ मैं उसके सामने की कुर्सी पर पसर गया। इससे पहले कि हम डील के बारे में बात करते संजय ने मुझे बताया कि वो शादी करने वाला है।

‘जिया।’

‘जिया?’ ये नाम वैसे पहले भी सुन चुका था मैं। ‘तो ये वो लड़की है जिसके लिए तुम यामिनी से पीछा छुडाने के लिए मरे जा रहे थे?’

‘ओ प्लीज! तुम जानते हो कि यामिनी क्या है और तब भी मुझसे पूछ रहे हो? वो किसी से प्यार नहीं कर सकती....शी इज बिच!’

हाँलाकि मैं कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं कर पाया लेकिन उसके आखिरी लफ्ज ने मेरे दिमाग की नसें जकड़ लीं थीं। मेरी नजरें उसके चेहरे से हटकर फर्श पर टिक गयीं।

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