ई-पुस्तकें >> फ्लर्ट फ्लर्टप्रतिमा खनका
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जिसका सच्चा प्यार भी शक के दायरे में रहता है। फ्लर्ट जिसकी किसी खूबी के चलते लोग उससे रिश्ते तो बना लेते हैं, लेकिन निभा नहीं पाते।
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जैसे मीडिया से आज तक कुछ छुप नहीं सका था वैसे ही ये बात भी नहीं छुप सकी। बाजार हम दोनों के नाम से गूँज उठा! हम फिर से खबरों में थे। इन खबरों का असर हम दोनों की जिन्दगियों से ज्यादा पड़ा हम दोनों के परिवारों पर। मेरे घर में तो लगभग तूफान ही आ गया था। मैं ऐसी जगह से था जहाँ लोग इन सब बातों को नाजायज कहते हैं। उनके लिए तो मैंने हद पार कर ली थी।
हाँलाकि मैं कभी सच को छुपाने में यकीन नहीं रखता था लेकिन इस समय सच को स्वीकार करना भी सही नहीं था। मैंने झूठ का सहारा लेकर हालात सम्हालने की कोशिश की लेकिन जब बात माँ तक आयी तो ये लगभग नामुमकिन था।
‘मम्मी ये सब मीडिया की फैलायी अफवाह है, यामिनी मेरे साथ नहीं रहती। यकीन करिये।’
‘अंश मैं जानती हूँ कि तू वहाँ कैसी जिन्दगी जी रहा है। तेरे पास यहाँ आने के लिए वक्त नहीं है। यहाँ तक कि तुझसे बात करना मुश्किल हो गया है। तू जो कर रहा है मुझे ठीक नहीं लगता अंश। अगर तुझे लगता है कि सिर्फ तेरे भेजे पैसे हमारे लिए काफी हैं तो तू गलत सोच रहा है। हमें तेरी ज्यादा जरूरत है अंश। आये दिन तेरे बारे में सुनने को मिलता है, अच्छा कम और बुरा ज्यादा।’
‘ममा ये लाइन ही ऐसी है मैं क्या करूँ?’ मैंने मजबूर सी आवाज में कहा।
‘छोड़ दे।’ बहुत ही आसान जवाब था।
‘लेकिन अब मैं एक कामयाब और नामी मॉडल हूँ मम्मी।’
‘तो?’ वो मेरे जवाब के लिए रुकीं लेकिन मैं चुप था। ‘अँश हम सब खुश हैं कि तू कामयाब हो गया है लेकिन क्या करना है ऐसे नाम का कि अपना सम्मान ही खत्म हो जाये! एक बार को मैं तेरा यकीन कर भी लूँ, तो भी यहाँ लोगों को क्या जवाब दूँ? पता है लोग क्या-क्या कहते हैं?’
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