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असंभव क्रांति

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :405
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9551
आईएसबीएन :9781613014509

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माथेराम में दिये गये प्रवचन

अशांत आदमी के साथ जीना तो आनंद नहीं है। अगर पत्नी अशांत है तो पति के जीवन में एक उपद्रव निरंतर चलता रहेगा, पति अशांत है तो पत्नी के जीवन में उपद्रव चलता रहेगा। लेकिन अगर पत्नी शांत होना चाहती है तो पति क्यों बाधा देगा? कभी किसी पति ने पत्नी के स्वस्थ होने में बाधा दी है, बीमार रखना चाहा है। क्यूं चाहेगा क्योंकि पत्नी की बीमारी पति को भी तो बीमार करती है, बीमार बना देती है। क्योंकि घर में एक आदमी बीमार है तो कोई आदमी स्वस्थ नहीं रह सकता। सारे घर की हवा रुग्ण हो जाती है। घर में एक आदमी अशांत है तो सारे घर की हवा में अशांति के कीटाणु फेंकता है।

तो अगर कोई शांत होने लगे तो पति बाधा देगा। लेकिन पति को डर है। पुरानी तरह की शांति बड़ी खतरनाक थी, वह दूसरी तरह की अशांति थी। अगर पत्नी शांत होने लगे तो उसको लगेगा कि संबंध टूटे, पुराने ढंग की जो शांति जो हम समझते रहे कि शांति है। अगर वह माला-माला जपने लगे तो पति समझ गया, अब मुश्किल हो गयी। अब यह मेरे साथ सिनेमा देखने नहीं जा सकेगी। अब मेरे और इसके प्रेम के नाते गड़बड़ होंगे, क्योंकि यह माला बीच में खड़ी हो जाएगी। तो पति घबड़ा जाएगा कि यह उपद्रव हो रहा है। यह मैं पत्नी को खो रहा हूँ।

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