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असंभव क्रांति

ओशो

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :405
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9551
आईएसबीएन :9781613014509

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माथेराम में दिये गये प्रवचन

छोटे बच्चे को सुला देते हैं। कहते हैं, मुन्ना राजा सो जा, मुन्ना राजा सो जा, मुन्ना राजा सो जा। थोड़ी देर में मुन्ना राजा ऊब जाता है और सो जाता है। मां समझती है हमारे संगीत का फल है। मुन्ना राजा केवल बोरडम की वजह से सो गए। और मुन्ना राजा के बाप भी सो सकते हैं, अगर यही तरकीब उपयोग में लाई जाए।

जब भी चित्त ऊबेगा, जब भी चित्त परेशान हो जाएगा, एक शब्द की पुनरुक्ति से तो सिवाय सोने के कोई उपाय नहीं रह जाता है। बहुत पहले लोगों ने यह तरकीब खोज ली थी। एक शब्द को पकड़ लो, दोहराए चले जाओ--ओम, ओम, ओम दोहराए चले जाओ। राम, राम, राम--कोई भी शब्द। अल्लाह, अल्लाह सभी शब्द समान हैं। कोई भी शब्द दोहराए चले जाओ। दोहराते जाओ, दोहराते जाओ, खुद का मन बेचैन हो जाएगा, ऊब जाएगा, घबड़ा जाएगा। घबड़ाहट में एक ही रास्ता रह जाएगा कि सो जाओ तो छुटकारा हो जाए इस परेशानी से। इस रिपिटीशन से मुक्ति का एक ही रास्ता है।

कोई दूसरा कर रहा हो तो आप भागकर चले जाएं। कहीं खुद ही कर रहे है, तो भागेंगे कहाँ, अगर दूसरा राम-राम जप रहा हो तो हम अपने कान बंद कर लें। दूसरा राम-राम जप रहा हो, हम अपना रेडियो खोल लें। दूसरा राम-राम जपता हो, हम वह जगह छोड़ दें। लेकिन जब हम खुद ही जप रहे हों, तो हमारा मन क्या करे, कहाँ जाए? उसके पास एक ही रास्ता है, वह नीद में चला जाए। यह नींद में चले जाना बचाव का उपाय है और कुछ भी नहीं। मन को परेशान करेंगे, मन बचना चाहेगा। आत्मरक्षा में मन सो जाएगा। यह सेल्फ डिफेंस है और कुछ नहीं। आप टार्चर कर रहे हैं, आप परेशान कर रहे हैं, तो आत्मरक्षा में मन एक ही रास्ता देखता है कि सो जाना उचित है। और मन सो जाता है।

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